पिछले महीने कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ कथित बलात्कार और हत्या की जांच कर रही केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने सोमवार को तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) विधायक निर्मल घोष से सात घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की।

पीड़िता के माता-पिता ने पहले आरोप लगाया था कि पुलिस सहित राज्य प्रशासन ने 9 अगस्त की रात को पीड़िता के शव को जल्दबाजी में अंतिम संस्कार के लिए भेज दिया था। घोष को श्मशान घाट में देखा गया था और कथित तौर पर उन्होंने दिन में मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष से भी मुलाकात की थी।
हालांकि, उत्तर 24 परगना के पानीहाटी से टीएमसी नेता ने संवाददाताओं से कहा कि वह मामले में दलील देने के लिए संघीय एजेंसी के कार्यालय आये थे।
सोमवार सुबह सीबीआई कार्यालय में प्रवेश करने से पहले उन्होंने संवाददाताओं से कहा, “मैं अपना बयान दर्ज कराने आया हूं। यह (अंतिम संस्कार) मेरे क्षेत्र में हुआ।”
इस बीच, सीबीआई ने पोस्टमार्टम करने वाली टीम के सदस्य अपूर्वा बिस्वास से भी पूछताछ की। घोष ने पहले मीडियाकर्मियों को बताया कि उन्हें एक व्यक्ति का फोन आया था जिसने खुद को पीड़िता का चाचा बताया और पोस्टमार्टम कराने के लिए उन पर दबाव बना रहा था।
आरजी कर अस्पताल में फोरेंसिक मेडिसिन के प्रोफेसर बिस्वास ने रविवार को मीडियाकर्मियों से कहा, “खुद को पीड़िता का चाचा बताने वाले एक व्यक्ति ने फोन पर कहा था कि अगर उसी दिन शव परीक्षण नहीं किया गया तो खून-खराबा हो जाएगा। वह एक पूर्व पार्षद था।”
राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने एक्स पर पोस्ट किया कि वह “व्यक्ति” पूर्व सीपीआई (एम) पार्षद संजीव मुखर्जी थे, जो 2018 में टीएमसी में शामिल हो गए थे।
अधिकारी ने सोमवार को एक्स पर लिखा, “वह व्यक्ति पूर्व पार्षद था। वह व्यक्ति संजीब मुखर्जी है। वह पानीहाटी नगरपालिका का पूर्व सीपीआईएम पार्षद है, जो बाद में टीएमसी में शामिल हो गया और पानीहाटी टीएमसी विधायक निर्मल घोष का करीबी सहयोगी बन गया। ममता बनर्जी के निर्देश पर निर्मल घोष खुद मौजूद थे। अजीब बात यह है कि यह संजीब मुखर्जी ही दाह संस्कार प्रमाणपत्र पर हस्ताक्षरकर्ता है, जबकि वह पीड़ित का रिश्तेदार नहीं है।”
आरोप सामने आए कि पोस्टमार्टम शाम को किया गया और पुलिस ने “कुछ जरूरी मामले” का हवाला देते हुए विशेष अनुमति दी थी।
मुखर्जी ने मीडिया से कहा, “मैं जांच एजेंसी को बताना चाहता हूं कि मेरे खिलाफ कितने बेबुनियाद आरोप लगाए जा रहे हैं। मैं दबाव बनाने वाला कौन होता हूं? मैं माता-पिता के साथ था? क्या मैं इतना शक्तिशाली हूं कि शाम 6 बजे तक पोस्टमार्टम कराने की सारी अनुमतियां हासिल कर लूंगा? मुझे आसान निशाना बनाया जा रहा है।”
पीड़िता के माता-पिता ने आरोप लगाया था कि पुलिस और अस्पताल अधिकारी पीड़िता के शव को जल्दबाजी में अंतिम संस्कार के लिए भेजना चाहते थे।
पीड़िता के पिता ने प्रेस को बताया, “हमने दूसरे पोस्टमार्टम पर जोर दिया था। लेकिन हम पर बहुत दबाव था। अस्पताल से घर पहुंचने से पहले ही कम से कम 300-400 पुलिसकर्मी हमारे घर पर जमा हो गए थे। स्थानीय राजनेता भी इकट्ठा हो गए थे। दाह संस्कार मुफ्त में किया गया।”